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मयूर कु ट ाथ ना म
Íकर|Íटने नम1तु ¹यं मयूर Íüय व~लभे
सु¹या य महा कु cयौ िशखÍ=डप दवे ?मने |
मोर कु ट| म दोन| ÷ी राधा कृ *ण ने मयूर बनकर नृ cय Íकया था | यहाँ पर कई
तरह क| लीलाएं हई
ु
ह | एक तो ये है Íक ठाकु र जी मोर बनकर नाचे ह | Íफर ÷ी
जी भी मोर बनकर नाची ह उनके साथ | एक लीला ये भी है Íक गहवरवन के मोर
वहाँ आते ह तो Íकसी को ÷ी जी कहती ह Íक ये मे रा मोर है और Íकसी को ठाकु र
जी कहते ह Íक वो मेरा मोर है | दोन| म होड़ लगती है Íक Íकसका मोर अ¯छा
नाचेगा? ÷ी जी अपने मोर को नचाती ह और ठाकु र जी अपने मोर को नचाते ह |
इसी तरह से मोर कु ट| पे मोर क| कई लीला हई ह
ु
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