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मानसो¬ारबीजन माया वा कामबीजकम॥ े ं


६-२६॥
प¾ाश3णमालािभ=Fानलोमस~था। ु
िवलोमन पनजFा सवऽ जयद ~वम॥ े ु ं

६-२७॥
पिठ~ा िसि4माHोित त~ोऽ ^ण भै रव॥ ं ु
६-२८॥
ज¬ो4ारिनरि¬णीहत6णी वदािदबीजािदमा। े
िन~ चतिस भा7त भिव कदा स3ाTस¾ािरणी। ं े े ु
मा पात िूयदा स िवपद सहारियिऽ धर। ं ं ं ु े
धािऽ ~ं ~यमािददवविनतादीनाितदीन पशम॥ े ं ु

६-२९॥
र*ाभामृ तचिEकािलिपमयी सपाकितनीििता। ृ
जाम~मसमािौता भगवती ~ं मा समालोकय। ू ं
मासो}~कग~दोषजिडत वदािदकायाि~त। ं ं ु े
~~ाFामलचEकोिटिकरणै नी~ शरीर क6॥ ं ं ु ६-३०॥
िस4ाथl िनजदोषिवत ¹लगित7ाजीयत िव0या।


क7ड~ाकलमागम*नगरीमायाकमागः िौया। ु ु ु ु
य0व भजित ूभातसमय म7ा¢कालऽथवा। े े े ं
िन~ यः कलक7डलीजपपदा-ोज स िस4ो भवत॥ ं ं ु ु े

६-३१॥
वा=ाकाशचतदलऽितिवमल वा¯ाफलाFालक। ु े े े
िन~ स+ित िन~दहघिटता शा§ितताभािवता। ं े े
िव0ाक7डलमािननी ~जननी मायािबया भा7त ु े
यै ~ै ः िस4कलोJवै ः ूणितिभः स~ोऽकै ः शभिभः॥ ु ं ु ६-३२

धाताश§र मोिहनीिऽभवन=ायापटो}ािमनी। ु
ससारािदमहासखूहरणी तऽि¹ता योिगनी। ं ु
सवमि-िवभिदनी ~भजगा सWाितसWापरा। ू ू े ु
ॄG¬ानिवनोिदनी कलकटी 7ाघाितनी भा7त॥ ु ु े ६-३३॥
व¬ ौीकलक7डलीिऽविलिभः सा\ै ः ~य- िूय। े ु ु ूं
ूाव9ाFरमारिच¬चपला बालाबलािन*ला। े
या दवी पिरभाित वदवदना सभािवनी तािपनी। े े ं
इ9ाना िशरिस ~य-विनता सभावयािम िबयाम॥ ं ं ं ु

६-३४॥
वाणीकोिटमृ द\नादमदनािनौिणकोिट7िनः। े
ूाणशीरसराशमलकमलो§ासै कपणानना। े ू ू
आषाढोJवमघवाजिनयत7ा~ानना¹ाियनी। े ु
माता सा पिरपात सWपथग मा योिगना श§रः॥ ु ू े ं ं ६-३५॥
~ामािौ~ नरा ोजि~ सहसा वै क7ठकै लासयोः। ु
आन¬ै किवलािसनl शिशशतान¬ानना कारणाम। ं

मातः ौीकलक7डली िूयकर काली कलोïीपन। ु ु ु े े
त~ान ूणमािम भिविनत माम4र ~ं पशम॥ ं े ु ु

६-३६॥
क7डलीशि*माग¹ ~ोऽा9कमहाफलम। ु ं

यतः पठत ूात6~ाय स योगी भवित ीवम॥ े
् ् ु
६-३७॥
¬णादव िह पाठन किवनाथो भविदह। े े े
पठत ौीक7डलो योगो ॄGलीनो भवत महान॥ े े
् ् ु

६-३८॥
इित त किथत नाथ क7डलीकोमल ~वम। े ं ं ु ्
एत~ोऽूसादन दवष ग6गी9ितः॥ े े े ु ु
६-३९॥
सव दवाः िसि4यताः अUाः ~ोऽूसादतः। े ु
ि3परा4 िचरजीवी ॄGा सवसर¬रः॥ ं ु े ६-४०॥

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