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जन्म वार से शरीर का आकर्ष ण

जय इं दर मलिक

रलववार यह सूयष का वार है । सवषप्रथम इसका नं बर एक है । लजसका जन्म 1, 10, 19 और 28


तारीख में हो तो उस जातक पर सूयष का प्रभाव रहे गा। सूयष ग्रहों का राजा है और आत्मा का
कारक है । इस वार को जन्मे जातक का लसर गोि, चैकोर, नाटे और मोटे शरीर वािा, शहद के
समान मटमैिी आं खें, पूवष लदशा का स्वामी होने के कारण, इसे पूवष में शु भ िाभ लमिते हैं । सूयष के
इन जातकों का 22-24वें वर्ष में भाग्योदय होता है । सूयष मे र् रालश में उच्च का और तुिा रालश में
नीच का होता है । इन जातकों की प्रकृलत लपतृ प्रधान है । लदि का दौरा, फेफडों में सूजन, पेट
संबंधी बीमाररयां हो सकती हैं । चेहरे में गाि के ऊपर दोनों हलियां उभरी हुई होती हैं । जब सूयष
00 से 100 अंश तक हो तो अपना प्रभाव दे ता है क्ोंलक यह ग्रहों का राजा है इसलिए इन
जातकों में राजा के समान गुण होने के कारण पि में प्रसन्न और पि में रुष्ट होने की आदत
होती है , ये जातक शक्की स्वभाव के होते हैं । गंभीर वाणी, लनमष ि दृलष्ट और रक्त श्याम वणष इनका
स्वरूप होता है । गां ठ के पक्के और प्रलतशोध िेने की भावना तीव्र होती है। इन्हें लप की तकिीफ
होती है ।

सोमवार यह चंद्रमा का वार है ,इसका अंक दो अथाष त् लजन जातकों का जन्म सोमवार 2, 11, 20, 29
तारीखों में हो तो चंद्रमा का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहा गया है ‘स्वज्ञं प्राज्ञौौः गौरश्चपिौः, कफ
वालतको रुलधसार, मृ दुवाणी लप्रय सरवस्तनु , वृतश्चचंद्रमाौः हाशु ौः।। अथाष त् सुंदर ने त्र वािा, बुद्धिमान, गौर
वणष, चंचि स्वभाव, चंचि प्रकृलत, कफ, वात प्रकृलत प्रधान, मधुरभार्ी, लमत्रों का लप्रय, होता है । ऐसा
जातक हर समय अपने आप को सजाने में रहता है चंद्रमा मन का कारक है । 24 से 25 वर्ष में
यह अपना प्रभाव पाता है । रक्त और मुख के आस-पास इसका अलधकार रहता है । ऐसे जातक के
केश घने , कािे , लचकने और घुंघरािे होते हैं । सोच समझकर बात करते हैं । पररस्थलतयों को मापने
की इनमें क्षमता होती है। ये भावुक भी होते हैं । बात-चीत करने में कुशि और लवरोधी को अपने
पक्ष में करने की इनमें क्षमता होती है । इस लदन जन्मी द्धियां प्यार में धोखा खाती हैं । ये जातक
कल्पना में अलधक रहते हैं । ये प्रेमी, िेखक, शौकीन, पतिी वाणी वािे होते हैं । वात् और कफ
प्रकृलत के कारण जीवन के अंलतम लदनों में फेफडों की परे शानी, हाटष की बीमाररयां संभव हैं । चमष
और रक्त संबंधी बीमाररयां अक्सर होती रहती हैं ।

मं गिवार यह हनु मान जी का वार है इसका नं बर नौ है । 9, 18, 27 तरीख को जन्मे जातक का


स्वामी मं गि ग्रह है इस लदन जन्मे जातक का सां विा रं ग, घुंघरािे बाि, िं बी गदष न, वीर, साहसी,
द्धखिाडी, भू -मालफया पुलिस के अलधकारी, सेनाध्यक्ष स्वाथी होते हैं । इनकी आं खों में हल्का-हल्का
पीिापन और आं खों के चारों ओर हल्की सी कालिमा या छाई रहती है । इनका चेहरा तां बे के
समान चमकीिा होता है । प्रत्येक कायष करने से पहिे लहत-अलहत का लवचार कर िे ते हैं । यलद
मं गि उच्च का अथाष त मकर रालश का हो तो जातक डाक्टर, ठे केदार, खे ती का व्यापार करने वािा
होता है । यलद मं गि अकारक हो तो जातक चोर, डाकू भी हो सकते हैं । मं गि दलक्षण लदशा का
स्वामी होता है । ऐसा जातक लकसी पर लवश्वास नहीं करता। शकष प्रधान प्रकृलत है यहां तक मां -
बाप, पलत-पत्नी और संतान पर भी शक करता है । कलठन से कलठन पररद्धस्थलतयों में यह जातक
लवचलित नहीं होता। राजनीलतक क्षे त्र में अच्छे से अच्छा और बुरे से बुरा कायष कर सकता है । एक
बार जो काम हाथ में िे िे उसे पूरा करके छोडता है । बहुत साहसी, खतरों की लजं दगी में इन्हें
आनं द लमिता है । शत्रु ओं से िडना इनका स्वभाव होता है । मज्जा और मुख के आस-पास इसका
अलधकार क्षे त्र है । 28 से 32वें वर्ष में यह फि दे ता है । मलहिायें लचडलचडी और कटु भार्ी होती हैं ।
रक्त एवं चमष रोग से ग्रस्त रहते हैं ।

बुधवार गणेश जी इसके स्वामी हैं । इसका अंक पां च है जो जातक 5, 14, 23 तारीखों में जन्मा हो
वह जातक लठगना, सामान्य रं ग, फुतीिा, बहुत बोिने वािा, दु बषि शरीर, छोटी आं खें, क्रूर दृलष्ट, लप
प्रकृलत, चंचि स्वभाव लिअथषक बात करने वािा, हास्य लप्रय, शरीर के मध्य भाग में संदा दु बषि, उर
लदशा का स्वामी, माता-लपता से प्रेम करने वािा, लचत्रकार, 8वें और 22वें वर्ष में अररष्ट 32वें वर्ष में
भाग्योदय, त्वचा और नालभ के लनकट स्थि पर अलधकार, वाणी, वात-लप का कारक होता है । यह
जातक अलधकतर बैंकसष, दिाि, संपादक, इस जातक को दे श, काि और पात्र की पहचान होती है ।
वातावरण के अनु कूि बातचीत करने में होलशयार होते हैं । बुध ग्रह लजस जातक का कारकत्व होता
है उसका रं ग गोरा, आं खें सुंदर और त्वचा सुंदर और मजबूत होती है , ये अच्छे गुप्तचर या राजदू त
बन सकते हैं । यह जातक स्पष्ट वक्ता होता है और मुं ह पर खरी-खरी कहता है और इस प्रकार
से बात करता है लक दू सरे को बुरा न िगे। सफाई लप्रय होता है कफ-लप-वात प्रकृलत प्रधान होने
से बाल्यावस्था में जीणष ज्वर से पीलडत रहता है । वृिावस्था मंेे अने क रोगों से पीलडत रहता है ।
यौवनावस्था में प्रसन्नलच रहता है । सफि व्यापारी के इसमें गुण होते हैं । अने क रं गों का शौकीन
होता है । हरा रं ग इसे लप्रय होता है और वह शु भ भी होता है । ज्योलतर् या ग्रह नक्षत्रों का ज्ञान,
गलणतज्ञ, पुरोलहत का कायष करना, िेखालधकारी। इस वार में जन्मी मलहिाएं शीघ्र रूठने वािी, चुगिी,
लनं दा करने वािी और पलत से इनकी अनबन रहती है ।

गुरुवार यह समस्त दे वताओं का गुरु है । इसका अंक तीन है अथाष त् 3, 12, 21, 30 तारीखों में जन्मे
जातक स्वस्थ शरीर, िं बा कद, घुंघरािे बाि, तीखी नाक, बडा शरीर, ऊंची आवाज, शहद के समान
ने त्र वािे ऐसे जातक सच्चे लमत्रों के प्रेमी, कानू न जानने वािे अलधकारी, जज, खाद्य सामग्री के
व्यापारी, ने ता अलभने ता भी होते हैं । ऐसे जातक बोिते समय शब्ों का चयन सावधानी पूवषक करते
हैं । आं खों से झां कने की ऐसी प्रवृ होती है लक मानो समस्त संसार की शां लत और करुणा इसमें
आकर भर गई हो, जीव लहं सा और पाप कमष से बचते हैं । मलहिाएं चररत्रवान, पलत की सेलवका, पलत
को वश में रखने वािी सद् गुणी, कुशि अध्यालपकाएं होती हैं । पुजारी, आश्रम चिाना, सरकारी, नौकरी,
पुराण, शाि वेदालद, नीलतशाि, धमोपदे श से ब्याज पर धन दे ने से जीलवका होती है । ऐसे जातक
शत्रु से भी बातचीत करने में नम्रता रखते हैं । चबी-नाक के मध्य अलधकर क्षे त्र है । 16-22 या 40वें
वर्ष में सफिता लमिती है। उर-पूवष (ईशान) इस ग्रह का स्वामी है ककष रालश में यह ग्रह उच्च
का होता है । पीिा रं ग इनके लिए शु भ होता है । यह एक रालश में एक वर्ष रहता है । यह 110
अंश से 200 अंश में अपने फि दे ता है , 7, 12, 13, 16 और 30 वर्ष की आयु में कष्ट पाता है ।
दीघष आयु कारक है । यह गुल्म और सूजन वािे रोग भी दे ता है । चबी और कफ की वृद्धि करता
है । ने तृत्व की शद्धक्त इसमें स्वाभालवक रूप से होती है ।
शु क्रवार यह िक्ष्मी का वार है । इसका अंक छौः है अथाष त् 6, 15, 24 तारीखों में जन्म िे ने वािे
जातक पर शु क्र ग्रह का प्रभाव होता है । इस लदन जन्मे जातकों का लसर बडा, बाि घुंघरािे , शरीर
पतिा, दु बिा, ने त्र बडे , रं ग गोरा, िं बी भु जाएं , शौकीन, लवनोदी, लचत्रकिाएं , चतुर, लमठाई लफल्ममे कर,
आभू र्ण लवक्रेता होते हैं । शु क्र तीक्ष्ण बुद्धि, उभरा हुआ वक्षस्थि और कां लतमान चेहरा होता है । वीयष
प्रधान ऐसा व्यद्धक्त द्धियों में बहुत लप्रय होता है । यह जातक मु स्कुराहट लबखे रने वािा सवषदा
प्रसन्नलचत रहने वािा होता है । शु क्र ग्रह िी कारक होता है और नवग्रहों में सबसे अलधक लप्रय
होता है । ऐसे जातक कामुक और शं गार लप्रय होते हैं , इस लदन जन्मा जातक लवपरीत लिं ग को
आकलर्ष त करता है । ऐसे व्यद्धक्त सफि होते हैं , लवपक्षी को लकस प्रकार से सम्मोलहत करना चालहए
आलद गुण इनमें जन्मजात होते हैं । लमत्रों की संख्या बहुत होती है और लमत्रों में िोकलप्रय होते हैं ।
वात-कफ प्रधान इनकी प्रकृलत है और वृिावस्था में जोडों में ददष और हलियां में पीडा होती है ।
प्रेम के बदिे प्रेम चाहते हैं । नृ त्य संगीत में रुलच रखते हैं । आग्नेय लदशा का स्वामी है ।

शलनवार शलन को काि पुरुर् का दास कहा गया है । इसका अंक आठ है । लदनां क 8, 17, 26 को
जन्मे जातकों का स्वामी शलन है । यह अपने लपता सूयष का शत्रु है । तुिा में शलन उच्च का होता है
तथा 210 अंश से 300 अंश तक अपना फि शु भ-अशु भ दे ता है , इस लदन जन्मा जातक सां विा रं ग
नसें उभरी हुई, चुगिखोर, िंबी गदष न, िं बी नाक, लजद्दी, ककषश आवाज, घोर मे हनती, मोटे नाखू न, छोटे
बाि, आिसी, अलधक सोने (नींद) वािा, गंदी राजनीलत वािा होता है छोटी आयु में कष्ट पाने वािा,
दू सरों की भिाई से प्रसन्न न होने वािा, पररवार का शत्रु , 20-25-45वें वर्ष में कष्ट भोगने वािा, स्नायु
(नसंेे) पेट पर अलधकार 36-42वें वर्ष में शुभ या अशु भ प्रभाव, लनदष यी, दू सरों को लवप में डािने
वािा और इन्हें परे शान करने में आनं द आता है , लशक्षण काि में काफी रुकावटें , अपशब् कहने में
प्रसन्नता लमिती है । मलहिाएं कटु भार्ी, पलत से लनत्य तकरार करने वािी, दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं
होता, शु िता का ध्यान कम होता है । स्वभाव, क्रोधी, आलथष क मामिों में यह सामान्य होता है । िोहा
आलद या कािे रं ग के उद्योगों में सफिता लमिती है , वायु प्रधान, मूखष, तमोगुणी, आयु से अलधक
लदखने वािा, कबाडी का काम, कुसी बुनना, मजदू री करना, पलत-पत्नी के लवचारों में मतभे द। यह तुिा
रालश में उच्च और मे र् रालश में नीच का होता है । 210 अंश से 300 अंश में इस जातक के जीवन
पर प्रभाव डािता है । दां त का ददष , नाक संबंधी तकिीफें, िकवा, नामदी, कुष्ठ रोग, कैंसर, दमा, गंजापन
रोग संभव हो सकते हैं । इन जातकों को पलश्चम लदशा में िाभ लमि सकता है ।

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